भारत ने रूस से तेल आयात में कमी की योजना बनाई: जानिए इसका असर पेट्रोल के दाम पर

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है, और उसकी ऊर्जा जरूरतों का लगभग 85% हिस्सा विदेशी तेल पर निर्भर है। बीते दो वर्षों में रूस भारत का प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता बन गया था, खासकर जब पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए। लेकिन अब भारत सरकार ने रूस से तेल आयात में धीरे-धीरे कमी करने की योजना बनाई है। इस निर्णय के बाद सवाल उठ रहे हैं — क्या इससे भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ेंगी?
भारत का रूस पर निर्भरता घटाने का फैसला क्यों?
भारत ने यह कदम कई कारणों से उठाया है —
- भुगतान प्रणाली में चुनौतियाँ: रूस से तेल खरीदने में भुगतान अक्सर युआन, दिरहम या रुपये-रूबल समझौते के तहत होता है, जिससे बैंकिंग प्रक्रिया जटिल हो जाती है।
- अंतरराष्ट्रीय दबाव: पश्चिमी देशों के बढ़ते दबाव के चलते भारत अब अपने ऊर्जा स्रोतों को विविधता देने (Diversify) की दिशा में काम कर रहा है।
- सप्लाई चेन की स्थिरता: भारत नहीं चाहता कि वह किसी एक देश पर अत्यधिक निर्भर हो। इसलिए वह अब मध्य पूर्व और अफ्रीकी देशों से तेल आयात बढ़ाने पर विचार कर रहा है।
तेल आयात में कमी से पेट्रोल के दाम पर क्या असर पड़ेगा?
यह सवाल हर उपभोक्ता के मन में है। विशेषज्ञों का कहना है —
कम अवधि में: इसका बड़ा असर नहीं होगा, क्योंकि भारत के पास तेल रिज़र्व और लंबी अवधि के कॉन्ट्रैक्ट्स मौजूद हैं।
लंबी अवधि में: अगर रूस से आयात कम होता है और वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो भारत में पेट्रोल-डीजल के दामों में धीरे-धीरे वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा, डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी भी कीमतों पर दबाव डाल सकती है।
भारत की नई रणनीति क्या है?
भारत अब ऊर्जा स्रोतों में विविधता (Energy Diversification) लाने पर फोकस कर रहा है — सऊदी अरब, इराक, और UAE से तेल खरीद बढ़ाने की तैयारी चल रही है। सरकार ग्रीन एनर्जी और बायोफ्यूल्स को भी बढ़ावा दे रही है, ताकि तेल पर निर्भरता घटाई जा सके। ONGC और इंडियन ऑयल जैसी कंपनियाँ अफ्रीकी देशों में नए एक्सप्लोरेशन प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही हैं।
आम जनता पर असर
अभी फिलहाल कीमतों में कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिलेगा, लेकिन अगर रूस की सप्लाई में व्यवधान या अंतरराष्ट्रीय बाजार में तनाव बढ़ता है, तो पेट्रोल-डीजल की कीमतों में ₹2–₹4 प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी संभव है। ट्रांसपोर्टेशन और जरूरी वस्तुओं की लागत पर भी इसका असर दिख सकता है।