त्योहारों की रौनक से सजा भारतीय बाजार: 2025 में खरीदारी, निवेश और ऑनलाइन सेल ने तोड़े सभी रिकॉर्ड

भारत में त्योहारों का मौसम सिर्फ खुशियों का नहीं, बल्कि आर्थिक गतिविधियों का सबसे बड़ा दौर होता है। अक्टूबर से दिसंबर तक चलने वाला यह सीजन खुदरा व्यापार, ई-कॉमर्स, सोना-चांदी, ऑटोमोबाइल और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में जबरदस्त उछाल लाता है। 2025 में भी यही देखने को मिला — इस बार त्योहारों के दौरान भारत का खुदरा बाजार ₹4.8 लाख करोड़ के पार पहुंच गया, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है।
ई-कॉमर्स कंपनियों ने तोड़े बिक्री रिकॉर्ड
Flipkart, Amazon, Meesho और JioMart जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों ने इस फेस्टिव सीजन में 50% तक की वृद्धि दर्ज की। केवल 15 दिनों में 100 मिलियन से अधिक ऑनलाइन ऑर्डर किए गए, जिनमें स्मार्टफोन, इलेक्ट्रॉनिक्स, फैशन और होम डेकोर प्रोडक्ट्स की सबसे ज्यादा मांग रही।डिजिटल पेमेंट्स (UPI, Paytm, PhonePe) ने भी नया रिकॉर्ड बनाया — ₹20 लाख करोड़ से अधिक के ट्रांजैक्शन हुए।
रिटेल सेक्टर में बढ़ी रौनक
ऑफलाइन बाजारों में भी इस बार ग्राहकों की भीड़ देखने लायक रही। दुकानदारों ने बताया कि त्योहारों की शॉपिंग 2024 की तुलना में 30% अधिक रही। कपड़ा उद्योग, ज्वेलरी शॉप्स और मिठाई विक्रेताओं को बड़ा फायदा हुआ।ग्राहकों ने कहा कि “महंगाई बढ़ी है, लेकिन त्योहारों में खरीदारी तो जरूरी है।”
ऑटोमोबाइल और रियल एस्टेट सेक्टर को भी मिला बूस्ट
त्योहारों के समय को भारत में शुभ मुहूर्त माना जाता है। इस बार भी बड़ी संख्या में लोगों ने नई कारें और घर खरीदे। मारुति, टाटा और ह्युंडई जैसी कंपनियों की फेस्टिव बुकिंग 1.2 लाख यूनिट्स तक पहुंची। रियल एस्टेट कंपनियों ने भी बताया कि बिक्री में 25% की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
सोना-चांदी की मांग में भारी इजाफा
धनतेरस और दिवाली के दौरान सोने की कीमत ₹1.26 लाख प्रति 10 ग्राम के पार पहुंच गई, फिर भी लोगों की खरीदारी रुकी नहीं। सोने की मांग 18% बढ़ी, जबकि चांदी में 25% का उछाल देखा गया। यह दिखाता है कि भारतीय उपभोक्ता भावनात्मक और सांस्कृतिक कारणों से खरीदारी को प्राथमिकता देते हैं।
त्योहारों से जुड़ा आर्थिक प्रभाव
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए त्योहारों का सीजन एक मल्टीप्लायर इफेक्ट पैदा करता है। खुदरा बिक्री, परिवहन, पैकेजिंग, डिजिटल विज्ञापन, और रोजगार में बड़ा इजाफा होता है। RBI की रिपोर्ट के अनुसार, त्योहारों के दौरान GDP ग्रोथ में 0.7% तक की वृद्धि देखने को मिलती है।
आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि भारत में त्योहारों का मौसम सिर्फ खरीदारी का नहीं, बल्कि विश्वास और भावना का प्रतीक है। यह सीजन व्यापारियों और उद्योगों के लिए “साल की सबसे महत्वपूर्ण कमाई” लेकर आता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले वर्षों में फेस्टिव सेल 10-12% वार्षिक दर से बढ़ती रहेगी। भारत में त्योहारों का मौसम सिर्फ रोशनी, रंग और खुशियों का समय नहीं है — यह भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी बन चुका है। डिजिटल इंडिया, ई-कॉमर्स ग्रोथ और युवा उपभोक्ताओं की बढ़ती क्रयशक्ति ने त्योहारों को आर्थिक शक्ति का प्रतीक बना दिया है। 2025 का फेस्टिव सीजन साबित करता है कि जब भारत उत्सव मनाता है, तब पूरा बाजार चमक उठता है।