EPFO के नए नियम: सैलरीड वर्ग के लिए राहत या मुश्किल?

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने हाल ही में अपने नियमों में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जो सैलरीड कर्मचारियों के लिए चिंता का विषय बन गए हैं। इन बदलावों में प्रमुख हैं: अंशदायी राशि का 25% हिस्सा अनिवार्य रूप से लॉक किया जाएगा: अब कर्मचारियों को अपने EPF खाते में कम से कम 25% राशि को हमेशा के लिए लॉक रखना होगा।

अस्थायी निपटान के लिए प्रतीक्षा अवधि बढ़ाई गई है: नौकरी छूटने के बाद EPF का अंतिम निपटान प्राप्त करने के लिए अब कर्मचारियों को 12 महीने तक इंतजार करना होगा, जबकि पहले यह अवधि 2 महीने थी। पेंशन योजना (EPS 95) के लिए निपटान अवधि बढ़ाई गई है: EPS 95 के तहत पेंशन प्राप्त करने के लिए प्रतीक्षा अवधि 36 महीने कर दी गई है।

विपक्ष की प्रतिक्रिया: सैलरीड वर्ग पर अतिरिक्त बोझ

विपक्षी दलों ने इन बदलावों की आलोचना करते हुए इन्हें “क्रूर” और “अत्याचारी” करार दिया है। उनका कहना है कि ये नियम सैलरीड कर्मचारियों को उनके ही पैसे तक पहुंचने में कठिनाई उत्पन्न करेंगे। कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने आरोप लगाया कि सरकार की यह नीति कर्मचारियों के लिए “सजा” जैसी है, जो उनकी आर्थिक स्थिति को और भी खराब करेगी।

सरकार का पक्ष: कर्मचारियों के हित में सुधार

सरकार ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि नए नियम कर्मचारियों के हित में हैं। श्रम और रोजगार मंत्री मंसीख मांडविया ने बताया कि इन बदलावों से EPF निकासी प्रक्रिया सरल और तेज होगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कर्मचारियों को विशेष परिस्थितियों में बिना किसी दस्तावेजी प्रक्रिया के अपनी पूरी राशि तक पहुंचने की सुविधा मिलेगी।

 संतुलन की आवश्यकता

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि इन बदलावों से EPF खाते की सुरक्षा बढ़ेगी, लेकिन कर्मचारियों की तत्काल वित्तीय जरूरतों को भी ध्यान में रखना आवश्यक है। उनका कहना है कि यदि कर्मचारियों को अपनी जमा राशि तक पहुंचने में कठिनाई होती है, तो यह उनके लिए समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।