ISRO ने 2025 में लॉन्च किया पहला ग्रीन फ्यूल सैटेलाइट, अंतरिक्ष मिशनों में होगी प्रदूषण-मुक्त शुरुआत

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार को एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। भारत ने अपना पहला ग्रीन फ्यूल (पर्यावरण-अनुकूल ईंधन) से संचालित सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। यह कदम अंतरिक्ष मिशनों को प्रदूषण-मुक्त और किफायती बनाने की दिशा में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।

ISRO

क्या है ग्रीन फ्यूल?

ग्रीन फ्यूल एक ऐसा ईंधन है जिसमें हाइड्रॉक्सिल-एमोनियम नाइट्रेट (HAN) और अन्य पर्यावरण-अनुकूल तत्वों का उपयोग होता है। यह पारंपरिक हाइड्राज़ीन फ्यूल की तुलना में ज्यादा सुरक्षित है। इसका उपयोग अंतरिक्ष में प्रदूषण और विषैले उत्सर्जन को कम करता है। लागत भी पारंपरिक ईंधन से कम पड़ती है।

भारत के लिए महत्व

इस सैटेलाइट से ईंधन लागत में 25% तक की बचत होगी।

भविष्य के मार्स और मून मिशन में ग्रीन फ्यूल का उपयोग किया जाएगा।

इससे भारत का स्पेस प्रोग्राम और ज्यादा सस्टेनेबल और ग्लोबल स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनेगा।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव

इस कदम के बाद भारत अमेरिका, यूरोप और जापान जैसे देशों की कतार में शामिल हो गया है, जो पहले से ग्रीन फ्यूल टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं। इससे भारत की पकड़ अंतरिक्ष बाज़ार में और मजबूत होगी।

विशेषज्ञों की राय

स्पेस एक्सपर्ट्स का कहना है कि ISRO का यह कदम न सिर्फ पर्यावरण के लिहाज से अहम है, बल्कि आने वाले समय में यह कम लागत वाले और प्रदूषण-मुक्त अंतरिक्ष मिशनों की नई राह खोलेगा।

निष्कर्ष

ISRO का पहला ग्रीन फ्यूल सैटेलाइट लॉन्च भारत के स्पेस सेक्टर के लिए एक गेम-चेंजर साबित होगा। यह न केवल भारत को स्वच्छ ऊर्जा आधारित अंतरिक्ष मिशनों की दिशा में आगे ले जाएगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारत की प्रतिष्ठा को नई ऊँचाई पर पहुंचाएगा।